जिंदगी जींए, समझौता ना करें ......

एक घटना मेरे ज़ेहन में ताज़ा हो रही है, बात तब की है जब मेरे परिचित एक परिवार में किसी लड़के ने अपनी मर्ज़ी से 'लव मैरिज' कर ली थी | उस वक़्त जब यह बात घर पर पहुंची तो ऐसा लगा जैसे भूचाल आ गया हो, आनन-फानन में
परिवार वालो ने अपने स्वाभिमान की खातिर बहु और बेटे को समाज से निष्काषित करवा दिया | कुछ समझदार व् पढ़े लिखे लोगों ने उस घटना को सही ठहराया लेकिन उनकी सलाह लड़के वालो के किसी काम न आई | उस लड़के
का किसी गैर ज़ात की लड़की से प्रेम करना, उसके साथ रहने का फैसला करना यहाँ तक मुझे सब कुछ ठीक ठाक लगा लेकिन परिवार और समाज की उस स्वाभिमान की आंधी में वो दोनों बह जायेंगे ये जानकर मेरे ज़मीर को ठेस पहुची।



Source-The Spruce


            गौर करने वाली बात यह है की हमारा समाज प्रेम करने वालों को इतनी हीन भावना से क्यों देखता है ? क्या सिर्फ इसलिए की वे अपने चाहने वाले के साथ अपनी ज़िन्दगी बिताना चाहते है | आज समाज की सोच को बदलने की ज़रुरत है , हमें चाहिए की हम प्रेम करने वालो का सम्मान करें | वैसे भी इंसान इतना गिरा हुआ जीव है जो एक तरफ तो प्रेम के चिन्ह भगवान श्री कृष्ण को पुजता है और दूजी तरफ प्रेम करने वालो से अपने व्यर्थ के स्वाभिमान को बनाये रखने के लिए इतनी नफरत करता है जैसे की उन्होंने इनके किसी रिश्तेदार का क़त्ल कर दिया हो | ये तो बिलकुल अनुचित है कि आप उम्र भर यही चाहें के आपकी संताने हर कदम हर राह पर आपकी बातें मानती रहे | माता-पिता चाहे किसी के
भी हो उनका यह  सोचना गलत है के उनकी औलादें पूरी ज़िन्दगी उनके हुक्म बजाती  रहेगी , ना तो आप लोग उन्हें सपने देखने देते है, और अगर देख लिए तो फिर पुरे नहीं करने देते | कुछ अभागे फिर भी अपनी ख्वाहिशों का क़त्ल करके माँ-बाप के सपनो को पूरा कर भी लेते है तो उनकी एक आस होती है की वो अपने जीवनसाथी को खुद चुने |  
                         
                          मानता हूँ की समाज और परिवार के बड़े
बूढों को ज़िन्दगी का तर्जुबा होता है लेकिन उनको यह हक किसने दे दिया की वे किसी के निजी जीवन में दखलंदाज़ी करने लगे, उनकी ज़िन्दगी तो वो जी लेते है लेकिन बेचारे इन लड़के-लडकियों के रिश्तो को खुद तय करके इनको अपनी
मर्ज़ी की 'लाइफ ' नहीं जीने देते | अरे जब आपने अपनी संतानों की मन की बात कभी जानने की कोशिश की ही नहीं तो आप यह कैसे सोच सकते हैं की आप उनका जीवनसाथी उनसे बेहतर तरीके से चुन सकते है, अगर आपने अपनी
संतानों के सपनो को कभी जाना ही नहीं तो आप को कोई हक नहीं के आप उन्हें किसी के भी साथ हांक देवें |
                      इन बातों से किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का मेरा कोई इरादा तो नहीं है लेकिन अगर पहुंचती है तो उसके लिए आप खुद जिम्मेदार है | कोई भी शख्स ऐसे व्यक्ति के साथ सुखद जीवन नहीं बिता सकता जिसे वो
जानता तक न हो, हाँ एक शर्त को छोड़कर के दोनों में से कोई एक राजा बने और कोई एक सेवक | "इस बात की इज़ाजत हर किसी को होनी चाहिए की वो किसी को भी जांच परख कर ही उसे अपना जीवनसाथी चुने |"
                       अब इतनी सी बात पर समाज के कुछ तत्वों को या उनकी व्यर्थ प्रतिष्ठा को इतनी ठेस पहुँचती है की या तो ये उन्हे  ज़लील करते है या फिर उनको जीवन से मुक्त कर देते है यानि की उन्हें मारकर, अगर यह सारे लोग ऐसा ही
सोचते हैं तो इनको वो उम्मीदें तो छोड़ देनी चाहिए जिनमे ये चाहते हैं की इनकी संतानें बुढ़ापे में इन्हें भरपूर सुख प्रदान करेगी |
                      मुश्किल प्रतीत होता है लेकिन इस सत्य को स्वीकारना ही होगा और हर लड़के लडकी को यह हक देना होगा की वो अपनी पसंद से शादी कर सके साथ ही इस शर्त के साथ के इसमें उनके द्वारा उठाये गए क़दमों से कोई
अपमानित महसूस ना करे और ना ही कोई अत्याधिक दुखी हो | अगर झूठी प्रतिष्ठा की इस आग में हम राधा-कृष्ण के उस पावन प्रेम को इसी तरह कलंकित करते रहेंगे तो इस मृत्युलोक में पाप के भागी बनते रहेंगे |
                                                         
                                          .....कमलेश.....


नोट :- यह लेख किसी भी जाति या धर्म की भावनाओं को आहत करने के नजरिये से नहीं लिखा गया है फिर भी अगर आपको ऐसा महसूस होता है तो हम खेद व्यक्त करतें हैं |

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