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सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नदी और समंदर

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Source-YouTube  सालों-साल के अपने बर्फीले आँगन को छोड़कर, वो चल पड़ती है हरियाली साड़ी ओढ़े, चाँदनी का आलेप लगाए, चट्टानों का सुनहरा गहना पहने, मछलियों का काजल आँजे, फूलों की लाली अपने अधरों पर सजाकर, कल कल करती पाजेब पहनकर, हर पड़ाव पर प्रेम बिखेरती हुई, अपने प्रियतम के आँगन पहुंच जाती है, अपने पिता पर्वत को विस्मृत कर, तब सूर्योदय की लालिमा से अपनी प्रेयसी की मांग भरकर, वह उसे अपने आगोश में समेट लेता है, और इस तरह नदी समंदर में मिल जाती है ।                                  .....कमलेश.....

फिर मैं कविता लिखता हूँ ।

इन अंधियारों के बाहर जाकर मैं अंधियारों में झांकता हूँ, उन दरवाजों के भीतर जाकर मैं दरवाजों में देखता हूँ, तुम जो चाह रहे हो सुनना कभी ना तुमसे कहता हूँ, निकलकर खुद से बाहर फिर मैं कविता लिखता हूँ | टूटे हुए को जोड़कर फिर नए सिरे से चुनता हूँ, समेटकर बिखरे हुए इंसान   नित नए खिलोनें बुनता हूँ, जिनको कर दिया है विलुप्त तुमने बच्चों के बचपन से, छीन लिया जिनको तुमने अपने वजूद के सपनों से, मत ग्रास करों यूँ इनको एक बच्चा बन यह कहता हूँ, पाकर सब कुछ खो देता जब फिर मैं कविता लिखता हूँ | तुमको वाजिब लगता है यूँ उठाना सवाल मेरे शब्दों पर, पूछता हूँ मैंने कब कहे हैं कोई शब्द ही अपने कथनों में, बन चूके ग़ुलाम तुम औरों के इस क़दर के खुद को भूल गए, ना देख पाए आईना भी तुम फिर मुरझाये से फूल हुए, अब भी नहीं कहता हूँ तुमसे बस खुद को यह समझाता हूँ, जुड़ जाता हूँ बिखरकर जब फिर मैं कविता लिखता हूँ |                                 .....कमलेश.....    

बचकानी हरकतें ..........

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Source- We Heart It जब आमजन काम पर निकल चूके होते, सड़कों पर शोरगुल मच रहा होता और सूरज चाचा गुस्सा होने लगते तब कहीं माँ की डाँट और भाईयों के उलाहने सुनकर आशु उठता । बारह बजे अपने घर की बालकनी पर बैठकर नाश्ता करते वक्त उसकी अँगुलियाँ वाटस्एप और फेसबुक पर मार्निंग वाॅक कर रही होती । लेकिन आज मार्निंग वाॅक में खलल पड़ा गली से आती एक प्यारी लेकिन गुस्से भरी आवाज से, एक लड़की जो पास खड़े आॅटो वाले को डाँट रही थी कारण पता नहीं । आशु की निगाह गली में गई तो थी किंतु लौटी नहीं, नज़र चुपचाप उस पीले सूट वाली लड़की के पीछे हो ली जो अब अपनी लटों को चेहरे से हटाकर कानों के पीछे धकेल कर अपने रास्ते पर चल पड़ी थी । अगले दिन आशु थोड़ा वक़्त पर उठकर नाश्ता कर रहा था, लेकिन आज उस बैचेनी में इंतज़ार छुपा हुआ था । कुछ देर बाद वह दिखी एक सात साल के बच्चे के साथ, उसका बस्ता हाथ में लिए और नीले सूट में, अपने होठों पर मुस्कराहट बिखेरती हुई वो उस बच्चे को स्कूल से लेकर घर वापस लौट गई । आशु ने पड़ताल की तो पता चला कि स्कूल ७ से १२ तक चलता है, दो दफ़ा अनजानी सुरत देखने के बाद मचला हुआ दिल प्रत्यक्ष रुप से मिलना चाह

सवाल

मेरे साथ राहों पर घूमते हुए, मेरी साँसों के चलने की वजह बनते हुए, एक सवाल तुमने जो पूछ लिया था मुझसे कि कहाँ तक जाना चाहता हूँ तुम्हारे साथ  ? मैं वहाँ जाना चाहता हूँ, जहाँ तुम अपनी धड़कन खुद सुन सको । जहाँ तुम मेरे दिल को सहूलियत से पढ़ सको । मैं वहाँ जाना चाहता हूँ, जहाँ मैं तेरी जुल्फों में अपना होश भूला सकूँ । जहाँ मैं तेरे आँचल में अपनी जिंदगी बिता सकूँ । मैं वहाँ जाना चाहता हूँ, जहाँ हम प्रेम की नई इबारत को लिख सकें । जहाँ हम भूलकर सब कुछ इक दूजे में खो सकें ।                                            .....कमलेश.....

एहसास

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Source - Google मैं जमाने की भीड़ से बेखबर तेरे इंतजार में खड़ा हूँ, सोते जागते हर पल को बेकरार होकर खड़ा हूँ, नही चाहता कि मुझे तेरे सिवा कोई और चाहे, नही पसंद है कि मेरे सिवा तुझे देखे किसी की निगाहे, इक बारिश मुकम्मल हो तेरी मेरी मोहब्बत के लिए, कुछ हसरत अधूरी रहे इक दूजे की तड़प के लिए, मददगार लगता है मुझको यूँ अकेले बारिश में भीगना, बूंदो के छूने मे है वो आनंद जैसे तुम्हारे लबों को चूमना ।                                                     .....कमलेश.....

भगवान् होने के लिए. . .

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  Source - How.fn कोई हलचल तो होगी इस विरान बियाबान में, कोई कोयल तो कूकेगी जीवन के इस उपवन में, उल्लास निरंतर आएगा मायूसी समेटे आँगन में, रोशनी का उत्सव होगा अंधेरे पर श्री के बाद, खुशी जन्म लेगी फिर दुख के निर्वाण के लिए, घर को त्याग कोई जाएगा पिता की प्रतिष्ठा के लिए, हलाहल का पान करेगा वो समूचे जग के हित को, राधा भी विरह में तड़पेगी प्रेम की अमरता के लिए, कोई अवतरित होगा यँहा खुद भगवान् होने के लिए ।                            .....कमलेश.....

एहसासों का संग्रह

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  Source - Pinterest  * समन्दर के पानी के बेशुमार खारेपन के बावजूद,    मीठी नदी वंहा जाने के लिए हर चट्टान तोडती है | * तुम्हारी आँखों से नींद का छलकना सबूत है,    के तुमने रात भर हमारे ही ख्वाब संजोये है | * बहुत शोर है गलियों में के मुझे मिटा देंगे,    लेकिन मेरा वजूद तो सिर्फ तेरे होने से है | * मेरा खुदा रूठा हुआ लगता है आजकल,    शायद किसी ने उसे रिश्वत नहीं दी है | * अदा तुम्हारी आँखों की भाती नहीं है मुझको,    मेरी आँखों से मिलते ही झुक जाया करती है | * तुझे याद करते करते थक जाना   रातो को जागते जागते थक जाना   ग़ज़लों को लिखते लिखते थक जाना   फिर उनको पढ़ते हुए थक जाना | * यंहा सब नैतिकता और धर्म के ठेकेदार बैठे हैं   कुर्सी के नशे में चूर हमारे पहरेदार बैठे हैं   इन्हें इनकी हकीक़त बताओ हिन्दोस्तान वालो   हमारे वोट पे जीने वाले ये किरायेदार बैठे है | * सुनो दुल्हन घूँघट ज़रा ज्यादा निकला करो   अपने घर में बहुत कपडा अभी बाकी है   दुसरो की बेटी को तबाह कर