एहसासों का संग्रह



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* समन्दर के पानी के बेशुमार खारेपन के बावजूद,
   मीठी नदी वंहा जाने के लिए हर चट्टान तोडती है |


* तुम्हारी आँखों से नींद का छलकना सबूत है,
   के तुमने रात भर हमारे ही ख्वाब संजोये है |


* बहुत शोर है गलियों में के मुझे मिटा देंगे,
   लेकिन मेरा वजूद तो सिर्फ तेरे होने से है |


* मेरा खुदा रूठा हुआ लगता है आजकल,
   शायद किसी ने उसे रिश्वत नहीं दी है |


* अदा तुम्हारी आँखों की भाती नहीं है मुझको,
   मेरी आँखों से मिलते ही झुक जाया करती है |


* तुझे याद करते करते थक जाना
  रातो को जागते जागते थक जाना
  ग़ज़लों को लिखते लिखते थक जाना
  फिर उनको पढ़ते हुए थक जाना |


* यंहा सब नैतिकता और धर्म के ठेकेदार बैठे हैं
  कुर्सी के नशे में चूर हमारे पहरेदार बैठे हैं
  इन्हें इनकी हकीक़त बताओ हिन्दोस्तान वालो
  हमारे वोट पे जीने वाले ये किरायेदार बैठे है |


* सुनो दुल्हन घूँघट ज़रा ज्यादा निकला करो
  अपने घर में बहुत कपडा अभी बाकी है
  दुसरो की बेटी को तबाह कर चुके हम
  अपनी बेटी की तबाही देखना अभी बाकी है |


* तुम्हारी याद में मुझे सुलगने का मौका तो दो
  सावन की इस बारिश में भीगने का मौका तो दो
  ऐसा ना हो की मुन्तज़िर रह जाऊं मिलन के लिए
  इक दफा ही सही लेकिन दीदार का मौका तो दो |
                                  
                                                    .....कमलेश..... 

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