एहसास

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मैं जमाने की भीड़ से बेखबर
तेरे इंतजार में खड़ा हूँ,
सोते जागते हर पल को
बेकरार होकर खड़ा हूँ,
नही चाहता कि मुझे
तेरे सिवा कोई और चाहे,
नही पसंद है कि मेरे सिवा
तुझे देखे किसी की निगाहे,
इक बारिश मुकम्मल हो
तेरी मेरी मोहब्बत के लिए,
कुछ हसरत अधूरी रहे
इक दूजे की तड़प के लिए,
मददगार लगता है मुझको यूँ
अकेले बारिश में भीगना,
बूंदो के छूने मे है वो आनंद
जैसे तुम्हारे लबों को चूमना ।
                         
                          .....कमलेश.....

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